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Friday, 2 September 2011

व्यंग: खाते है हमारी और बजाते है सरकार की



" अब " राम " निकल गया है सिर्फ " लाल "रहा है ..काहे का रामलाल यार ?..रामलाल ने कहा .." ये सरकार भी बड़ी अजीब है ..मरे हुवे को बार बार मार रही है ,रोज अखबार में कछु न कछु आता ही है अब देखो हम " गौ पाला " करते है और सरकार "घोटाला "..अरे ओ रासबिहारी ..तनिक पढ़के तो सुनाओ आज का अखबार का कहत है ?..." रामलाल , जब तुजे घोटालो के बारे में पता नहीं है तो फिर रोज अखबार क्यों पढवाता है मुझसे ?.. रासबिहारी ने कहा उस पर रामलाल ने अपनी जेब से बीडी निकालते हुवे कहा " अरे वो तो इस लिए ताकि हमे पता चले की अखबार वाले सुधरे की ना ही या फिर आज भी खाते है हमारी और बजाते है सरकार की ..बीडी जलाते हुवे रामलाल ने कहा फिर एक लम्बा कस मारा और बीडी को अपने पैरो तले मसलते हुवे .." धत तेरी की, ये बीडी भी सरकार के माफिक फीकी निकली | " सामने देखा तो दिल्ली से लौटा रमेश मुस्कुरा रहा था|

                       " पायलागु रामलाल चाचा , कैसे है आप ? ..अरे तू कब लौटा दिल्ली से ? रामलाल ने कहा " आज ही मगर ये बताओ चाचा की आप ये सरकार को बार बार क्यों कोश्ते हो | " रमेश ने पुछा " अब , का बताये इ सरकार हम गरीब और अनपढ़ को कोई किसी खेत की फसल ही समज रही है का , जिसे वक़्त आने पर काटा जाये ? फसल का भी वक़्त होता है  काटने का ..मगर ये सरकार कभी भी गरीबों को काट देती है और ऊ .. का कहत है की .... | " ...रमेश बिचमे ही बोला " आम आदमी " .... " हां ..सुसरा वही "आम आदमी" ..जिसका न तो अचार बन सकता है और नहीं वो विचार कर सकता है ..बस सच बोलने पर पीट सकता है ..जैसे
आम आदमी याने चौक में रखा गया "ढोल"हो या फिर मंदिर में रखा गया " नगारा " हो,जिसे जब चाहे ..जैसे चाहे सरकार बजा सकती है ,और ... |" कहते बीडी जलाते जलाते हुवे कहने लगे " आम आदमी का क्या , वो बजता ही रहेता है | "

                                   " छोड़ो भी चाचा सब ठीक हो जायेगा | "..रमेश ने कहा , चाचा इस बात पर मुस्कुराये , तो रमेश बोला " आप अखबारवालों को क्यों कोश्ते हो ? उन्होंने क्या किया है ? " ... " तू भी सरकार की तरह बात करने लगा है रे , .. ये अखबारवाले को सब पता रहेता है मगर फिर भी सच को तो छुपाते ही है न ..वो दाढ़ीवाला , खेल के नाम पर कितने सारे रुपये खा गया ... वो राजा,ने तो हद ही कर दी है ..थे तो ये सब यही सरकार के ही ना ..फिर भी अखबारवाले इसी सरकार की तरफदारी करके इस सरकार को साफ़ सुथरी बताने की कोशिश कर रही है ...याने अखबार चलता है जनता के पैसों से ..अरे अखबार में इश्तिहार तो हम लोग ही देते है ना ... तो चला की नहीं हम लोगों के पैसों से ? ... और ये अखबारवाले हम लोगों को ही न्याय नहीं दे पा रहे है |" चाचा ने अपनी बढ़ी हुई दाढ़ी पर हाथ फेरते कहा
" दिन रात महेनत करते है फिर भी दाढ़ी बनाने के पैसे नहीं है और ये सरकार के हर आदमी का विदेशों में पड़ा है पैसा ..... थू .... है ऐसी सरकार पर | "
                                        " कहते कहते रामलाल अपनी फटी पुराणी धोती को ठीक करने लगे " वो कहते है न ..वो " गरीबलोगों को दिया जानेवाला रेशन कार्ड" ..वो क्या .. " रमेश तुरंत बोला " बी.पी.एल " .." हाँ वही ... वो साला सिर्फ और सिर्फ पैसेवालों को ही मिल रहा है ..गाँव के बनिए के पास है, जिसकी तीन दूकान है ..और मुझे सरकारी लोग कहे रहे है "नहीं मिलेगा" ..क्यों की मेरे पास कुछ नहीं है ...है तो सिर्फ यही ..ये फटी धोती और बढ़ी हुई ये दाढ़ी ..लगता है " बी.पी.एल " कार्ड का मतलब अब " बेटा ..पैसा ..लाओ  " ही रहा है ..इस सरकार को अब सायद यही लगता है की खेत में काम करनेवाले सभी " बैल " ही रहते है ..सायद हमारी भी गिनती सरकार अब "बैल" में ही कर रही है ..लगता है की अब लंगोट कसके इस सरकार को उलटे हाथ की देने का वक़्त आ गया है ..वर्ना मेरा बेटा पप्पू ..बड़ा होकर कहेगा की मेरे बाप में "दम" नहीं था ..जो अपना हक़ भी सरकार से मांग ना सके |"
                             " सही कहे रहे है आप | " रमेश ने कहा " अरे , वहां दिल्ही में भी तो कोई राहुल करके सरकार में है जो अक्सर गरीबों के साथ तस्वीरे ही खिंचवाता रहेता है ...कभी मिले तुजे वो राहुल, तो कहेना मत उडा मजाक किसी गरीब की गरीबी का ..क्या तुजे सिर्फ तस्वीरे खिंचवानी ही आती है ? ..और सुना है की वो पढाई में भी नापास हुवा था ? ..अरे मै भी ना ..." कहते रामलाल हसने लगा " आखिर भारत की राजनीती में वही सफल होते है जो सबसे अच्छा झूठ बोल सकते है ..और बैमानी कर सकते है | "कहते रामलाल जाने लगा ..रमेश चुपचाप खड़ा था ..क्यों की उसके पास कोई सब्द ही नहीं थे ..की जवाब दे सके ..तभी रामलाल की पास के पान के ठेले से आवाज़ आई सायद रामलाल ठेले वाले से कहे रहा था " अरे ओ नाम के सुखिया ..जरा इस दुखिया को एक बीडी तो पिला | " ..बीडी देते हुवे सुखिया बोला " एक रूपया दो | " .." अरे सुखिया , एक रूपया भी नहीं जेब में ..आज बीडी पिला मुझे ..एक दो दिन में तेरे पैसे दे दूंगा ..यकीन रख ..मै इस सरकार के जैसा नहीं हु की वादा करू और भूल जाऊ |"..और रामलला बीडी जलाते हुवे जाने लगा ... | "
                           " रमेश देख रहा था रामलाल की हालत को ..उसकी फटी हुई धोती को जो जगह जगह फटी हुई थी ..रमेश सोचने लगा और बडबड़ाया " इसकी धोती जिस तरहा से फटी हुई है बिलकुल वैसी ही हालत देश के नेताओं ने देश की कर दी है ..मगर फर्क ये है की ..अनपढ़ और गरीब किशन रामलाल की नियत साफ़ है भले ही उसकी धोती मैली और फटी है ...और देश के कांग्रेसी नेताओं की नियत ख़राब है भले ही उनके कपडे साफ़ है ...सलाम है उस फटी हुई धोती को पहननेवाले किशान को जो खेत में हल चलाते है ..खुद का पेट भरते है और औरों का भी पेट भरते है ... मुझे फक्र है की मै एक किशान का बेटा हु ..अच्छा हुवा मैंने किसी नेता के घर जन्म नहीं लिया ..रामलाल तुम भले ही अनपढ़ हो ..गवांर हो मगर सही मायने में तुम्हारे दिल में ही "राम" कहो या "अल्लाह" कहो बसते है ये मै आज यकीन से कहे सकता हु ..तुम्हे सलाम | "  










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